रविवार, 4 सितंबर 2011

मृत्युभोज

आने वाले युग मे मृत्युभोज जैसी परम्परा धरती से गायब हो जायेगी । क्योकि अन्तिम संस्कार जैसी परम्परा मे एक नया परिवर्तन होगा । अन्तिम संस्कार करने के लिये किसी लकङी ,नारियल ,घी या अन्य किसी सामान की आवश्यकता नही होगी ।शव को एक ऐसे ऊपरी स्थान की आवश्यकता होगी जहाँ सिर्फ उङने वाले पक्षी ही खा सके।जैसे गिद्ध ,चील, कौवा आदि । अन्धाधुन हो रही पेङो की कटाई पर तो अंकुश लगेगा ही और इन्धन की भी बचत होगी । मानव के मृत शरीर को गिद्ध चील कौवै खायेगे तो उनकी संख्या मे हिजाफा भी होगा ।मृत शरीर पर किये जाने वाले अनावश्यक खर्चे एवम बर्बादि से छुटकारा मिल जायेगा ।मृतक के परिवार मे आने जाने वालो की भीङ कुछ दिनो तक जरुर रहेगी पर मृत्यु का भोजन कोई नही करेगा ।प्राणी के मरने के बाद मे वह शरीर किसी के काम आ सके ऐसी विचारधारा वाले इन्सान नये युग मे होगेँ ।मृत शरीर का भोजन मनुष्य के लिये न होकर जानवरो के लिये होता है इस विचारधारा के लोग नये युग मे होगे ।

गुरुवार, 11 अगस्त 2011

आने वाले युग मे एक बार अपराध एवमं भ्रष्टाचार जैसी व्याधिया इस धरती से गायब हो जायेगी ।नये युग मे कानुन के सभी नियमो मे बदलाव होगा । कानुन के सभी नियम जनता के रोँगटे खङे करने वाले होगेँ ।नियमो को ध्यान मे रखते हुऐ किसी व्यक्ति की अपराध करने की क्षमता का पतन अपने आप हो जायेगा । अर्थात । बलात्कार जैसे अपराधी का सरे आम लिँग काटकर शरीर से अलग कर दिया जायेगा एवम उसके शरीर को जानवरो के आगे नोच नोचकर खाने के लिये डाल दिया जायेगा । बलात्कार साबित करने के लिये अनावश्यक दस्तावेजो की जरुरत नही पङेगी और फैसले मे ज्यादा समय नही लगेगा ।

शनिवार, 16 जुलाई 2011

आने वाले नये युग मे सभी विभागो मे एक नया परिवर्तन होगा । राजनेता बनने का अधिकार आँखो से अन्धा व्यक्ति जो होगा उसी के पास रहेगा । काम का बोझ जरुर हम सभी पर होगा । पर नाम का बोझ अन्धे के पास ही रहेगा ।जब देश के राजनेता आँखो से अन्धे होगे तो राजनेताओ के निचे काम करने वालो की फौज भी अन्धो की होगी लेकिन यह जानना जरुरी है की अन्धे का मतलब निःशक्त से है चाहे वो किसी प्रकार का हो ।जैसे एक बहुत बङा अधिकारी दो पैरो से हीन व्यक्ति ही बन सकेगा यानि काम के अनुसार विकलांग व्यक्ति का चयन होगा । एक बहुत बङे अधिकारी को अपने पद का कार्य भार सम्भालने के लिऐ पैरो की जरुरत नही होती है ।हाँ जरुर शैक्षणिक योग्यता होनी चाहिए इसी कारण एक अधिकारी के पास गाङी होती है ताकि पैर न होते हुऐ भी इधर उधर गाङी से घुम सके ।इसी तरह एक गुरु का पद भी एक पैर से हीन विकलांग व्यक्ति के पास ही होगा । क्योँकि गुरु ज्ञान के लिये एक हष्ट-पुष्ट व्यक्ति कि जरुरत नही होती है । इसी क्रम मे एक हाथ से विकलांग को छोटे मोटे अफसर जिसका कार्य कागजो तक सीमित रहता है जिनको सरकार से वाहन सुविधा नही मिलती है उनका ऐसी कुर्सियो पर चयन होगा । इसी क्रम मे एक परिचालक की कुर्सी एक मुक व्यक्ति को ही मिलेगी ।एक मुक बधिर विकलांग रेल के इन्जन का चालक बनेगा एवमं एक मुक विकलांग गार्ड बनकर झण्डी दिखाऐगा ।कुछ पद बधिरो के होगे । इसी क्रम मे दो पैरो से एवमं दो आँखो से हीन व्यक्ति एक जज की कुर्सी पर बैठ कर न्याय करेगा । इसी तरह निचले क्रम की कुर्सिया जहां शारीरक मेहनत का कार्य होगा है वहाँ एक आँख या तिरछी आँख वाला व्यक्ति ही काम कर सकेगा ।वंशवाद की राजनिति का सभी जगह सफाया हो जायेगा ।धरती पर एक बार फिर सुशासन होगा ।

मंगलवार, 12 जुलाई 2011

नये युग मे खेल जगत मे क्रान्तिकारी परिवर्तन होगा । निशक्त व्यक्ति को खेल जगत मे प्राथमिकता का अधिकार मिलेगा । जैसे क्रिकेट के खेल मे 50% नेत्र विकलांग होने पर ही बल्लेबाजी कर सकेगा । गेँदबाजी का भार हमेशा एक हाथ वाले निशक्त पर ही रहेगा एवमं मुक इन्सान विकेटकीपर बनकर दुनिया मे नाम कमायेगा । इस खेल का न्याय करने वाला व्यक्ति यानि एमंपायर डब्ल विकलांग यानि मुक बधिर होगा ओर तीसरा एमंपायर दो पैरो से हीन व्यक्ति ही बनेगा । क्रिकेट बोर्ड मे होने वाले सभी व्यक्ति, कर्मचारी,अधिकारी विकलांग ही होगे ।कलयुग मे क्रिकेट के प्रति लोगो की जो चाहत है वो चाहत आने वाले नये युग मे सिर्फ दर्शक बनकर रह जायेगी । हाँ हम हमारे मनोरंजन के लिए जरुर खेलेगे पर नाम एवमं धन कमाना एक सामान्य के लिए जायज नही माना जायेगा ।