रविवार, 4 सितंबर 2011

मृत्युभोज

आने वाले युग मे मृत्युभोज जैसी परम्परा धरती से गायब हो जायेगी । क्योकि अन्तिम संस्कार जैसी परम्परा मे एक नया परिवर्तन होगा । अन्तिम संस्कार करने के लिये किसी लकङी ,नारियल ,घी या अन्य किसी सामान की आवश्यकता नही होगी ।शव को एक ऐसे ऊपरी स्थान की आवश्यकता होगी जहाँ सिर्फ उङने वाले पक्षी ही खा सके।जैसे गिद्ध ,चील, कौवा आदि । अन्धाधुन हो रही पेङो की कटाई पर तो अंकुश लगेगा ही और इन्धन की भी बचत होगी । मानव के मृत शरीर को गिद्ध चील कौवै खायेगे तो उनकी संख्या मे हिजाफा भी होगा ।मृत शरीर पर किये जाने वाले अनावश्यक खर्चे एवम बर्बादि से छुटकारा मिल जायेगा ।मृतक के परिवार मे आने जाने वालो की भीङ कुछ दिनो तक जरुर रहेगी पर मृत्यु का भोजन कोई नही करेगा ।प्राणी के मरने के बाद मे वह शरीर किसी के काम आ सके ऐसी विचारधारा वाले इन्सान नये युग मे होगेँ ।मृत शरीर का भोजन मनुष्य के लिये न होकर जानवरो के लिये होता है इस विचारधारा के लोग नये युग मे होगे ।

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